कभी खामोश बैठोगे,कभी कुछ गुनगुनाओगे
मै उतना याद आऊँगी,मुझे जितना भुलाओगे
पढोगे खत कभी मेरी,कभी तस्विर देखोगे
लिखा है जो हथेलि पर,वो हसीं तकदिर देखोगे,
लिखोगे कुछ हथेली पर,पढोगे कुछ किताबों में
नजर आउँगी मै तुमको,सवालौं में जवाबों में
कभी तुम मुस्कुराओगे,कभी आँशु बहाओगे
मै ऊतना याद आउँगी,मुझे जितना भुलाओगे
मेरे सिने पे सर रख कर,गुजारी है कई रातें
भुला सकते तुम कैसे,वो पल पल कि मुलाकातें
नई रातों में तुम अकसर,पुराने दिन तलाशोगे
कोई चेहरा भि मिल जाए मेरा चेहरा तलाशोगे
किसी से कुछ बताओगे,किसी से कुछ छुपाओगे
हँस कर खत कभी मेरे, जलाओगे बुझाओगे
कभी खामोश बैठोगे,कभी कुछ गुनगुनाओगे
मैं उतना याद आऊंगी,मुझे जितना भुलाओगे