शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

Ghazal :- Na Jaane Kon Sa Woh Badnaseeb Lamha Tha



Wafa Ke Waade Woh Saare Bhula Gaya Chup Chaap
Wo Mere Dil Ki Deewaarein Hila Gaya Chup Chaap...!!!

Ghum-e Hayat Ke Taptey Hue Biyabaan Mein
Humein Chhod Ke Woh Tanha Chala Gaya Chup Chaap...!!!

Na Jaane Kon Sa Woh Badnaseeb Lamha Tha
Jo Ghum Ki Aag Mein Mujh Ko Jala Gaya Chup Chaap...!!!

Main Jis Ko Chhoota Hun Woh Zakhm Deta Hai
Woh Phool Aise Chaman Mein Khila Gaya Chup Chaap…!!!

Dard Hota Nahi Duniya Ko Batane Ke Liye...


Dard Hota Nahi Duniya Ko Batane Ke Liye,
Har Koi Rota Nahi Ansu Bahane KeLiye,

Ruthne Ka Maza To Tab Hai,
Jab Koi Apna Ho Manane Ke Liye..

Ghazal:- Kal subah yeh zindagi jo na rahi


Intezaar to kareiN ke jab vo aaye bhi
Bhool jaayeiN hum chhodeiN jo mere saaye bhi

Kal subah yeh zindagi jo na rahi
Tamaasha dekheNge apne aur paraaye bhi

Vo gair hai to gair ban-na bhi seekh le
YaadoN meiN aake baar-baar aazmaaye bhi

Kehta hai duniya ko chhoD dega humeiN
MuD ke dekhe baar-baar, ghabraaye bhi

Yeh kaisa khuda hai mere dosto
Khud hi lagaaye aag, khud hi bhujaaye bhi

Shikwa bhi to kya kareiN hum kisi se
Khoya ik humsafar to lakhoN rehnuma paaye bhi.

Hindi Ghazal : - Zindage kiya issi ko kehte hain?



Dil mila hai kahan kahan tanha

Bujh gae aas chup gaya taara
 
Thartharata raha dhuwan tanha

Zindage kiya issi ko kehte hain?

 
Jism tanha hai aur jaan tanha
 
Hamsafar koi ager mile bhi kahin
 
Donon chalte rahe tanha tanha

 
Jalti bujhti roshni ke pare 

Simta simta sa ik makan tanha
 
Raah dekha kare ga sadiyon tak
 
Chor jaenge yeh jahan tanha

बुधवार, 8 जनवरी 2014

हम अपनी जान गंवा बैठे ।

मस्जिद तो हुई हासिल हमको,
खाली ईमान गंवा बैठे ।
मंदिर को बचाया लढ-भीडकर,
खाली भगवान गंवा बैठे ।
धरती को हमने नाप लिया,
हम चांद सितारों तक पहुंचे । 
कुल कायनात को जीत लिया,
खाली इन्सान गंवा बैठे । 
मजहब के ठेकेदारों ने..
 आज फिर हमे युं भडकाया । 
के काजी और पंडित जिन्दा थे,
हम अपनी जान गंवा बैठे ।

Hindi Ghazal :- मानो न मानो दुनिया मेँ,बेइमान बहुत हैँ॥






घर कितने हैँ मुझे ये बता, मकान बहुत हैँ।
इंसानियत कितनो मेँ है, इंसान बहुत हैँ॥

मुझे दोस्तोँ की कभी, जरूरत नहीँ रही।
दुश्मन मेरे रहे मुझ पे, मेहरबान बहुत हैँ॥

दुनिया की रौनकोँ पे न जा,झूठ है, धोखा है।
बीमार, भूखे, नंगे,बेजुबान बहुत हैँ॥

कितना भी लुटोँ धन,कभी पुरे नहीँ होँगे।
निश्चित है उम्र हरेक की,अरमान बहुत हैँ॥

कैसे हूँ बेटे-बेटी को,बाइक, मोबाइल, कोचिंग।
हर घर मेँ बाप सोचकर,परेशान बहुत हैँ॥

युवा बेटी-बेटोँ मत करो,नित नई दोस्ती।
मानो न मानो दुनिया मेँ,बेइमान बहुत हैँ॥

मैँ शुक्रिया करूँ तेरा,तो कहाँ तक करूँ।
मैने सर झुकाया कम,तेरे एहसान बहुत हैँ॥
---> रवि .

Hindi Story : - क्रोध


 हिंदी कहानी : - क्रोध
एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे .

सन्यासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ;

” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?’

शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”

” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया .

कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए .

अंततः सन्यासी ने समझाया …

“जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते ….वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा.

क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं , क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं , उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है.”

सन्यासी ने बोलना जारी रखा ,” और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है ? तब वे बोलते भी नहीं , वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं.”

“प्रिय शिष्यों ; जब तुम किसी से बात करो तो ये ध्यान रखो की तुम्हारे ह्रदय आपस में दूर न होने पाएं , तुम ऐसे शब्द मत बोलो जिससे तुम्हारे बीच की दूरी बढे नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि ये दूरी इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि तुम्हे लौटने का रास्ता भी नहीं मिलेगा. इसलिए चर्चा करो, बात करो लेकिन चिल्लाओ मत.

Hindi Story :- जो चाहोगे सो पाओगे


  
 
 
जो चाहोगे सो पाओगे
 
एक साधु था , वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था ," जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।”

बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।

एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसनेँ उस साधु की आवाज सुनी , “जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।” ,और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया।

उसने साधु से पूछा -”महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैँ जो चाहता हूँ?”

साधु उसकी बात को सुनकर बोला – “हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहता है मैँ उसे जरुर दुँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या?”

युवक बोला-” मेरी एक ही ख्वाहिश है मैँ हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ। “

साधू बोला ,” कोई बात नहीँ मैँ तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे !”

और ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा , “ पुत्र , मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो “

युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसका दूसरी हथेली , पकड़ते हुए बोला , ” पुत्र , इसे पकड़ो , यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है , लोग इसे “धैर्य ” कहते हैं , जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिलें तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना , याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है। “

युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा । और ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम शुरू करता है और अपने मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।

Friends, ‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती समय को बर्बाद ना करें और अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए धैर्य से काम लें।

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

Hindi Ghazal :- खुशी नजदीक है थोड़ा सा इन्तजार कर

तू रंज मे है इसकी नुमाइश न कर

हर ऐक शक्स की जहा मे आजमाइश़ न कर

लोग हँसेगे तू अश्क बहायेगा 'रवि'

हर कोई साथ दे इस दौर मे ख्वाइश न कर

लाखो मिल जायेगे 
खुशिया तेरी बाटने वाले

कोई होगा नही जब दौर-ऐ-गम मे होगा तू

दुनिया से बच हर वक्त मुस्कुराया कर

महफिलो मे मुह लटका के आया न कर

सब खुदगर्ज है कोई यहा हबीब नही

ये तो रिवाज है दुनिया का कुछ अजीब नही

हर ऐक बात मे अपनी ही बात लाया न कर

राह चलते हुये किसी को बताया न कर

ये गम का मौसम कुछ पल को बरकरार है

खुशी नजदीक है थोड़ा सा इन्तजार कर

जुगनुओ की तरह खुद मे भी कुछ मुकम्मल कर ले

हर ऐक पल रौशनी का इकरार न कर
----> रवि. 

Hindi Ghazal :- बस ज़रा उस को कलेज़े से लगा आने दे

दिल के दरवाज़े तलक राहेवफ़ा आने दे
धूल उड़ती है तो उड़ने दे, हवा आने दे

जाने वालों से भला इतनी मुहब्बत क्यूँ कर
शाख़ से कह दो कि वो फूल नया आने दे

वो बहुत जल्द किसी और की हो जायेगी
जिद न कर, उस को सुबूतों को जला आने दे

मौत! वादा है मेरा, साथ चलूँगा तेरे
बस ज़रा उस को कलेज़े से लगा आने दे

ज़ख्म ऐसा है कि उम्मीद नहीं बचने की
जब तलक ज़िन्दा हूँ, नज़रों की शिफ़ा आने दे

दर्द में लुत्फ़ का एहसास न हो तो कहियो
दिल के ज़ख़्मों पे ज़रा रंग हरा आने दे

मैं भी कहता हूँ कि ये उम्र इबादत की है
दिल मगर कहता है कुछ और मज़ा आने दे




Hindi Shayari : - पूछो ना उस कागज़ से

पूछो ना उस कागज़ से जिस पे;
हम दिल के मुकाम लिखते है;
तन्हाइयों में बीती बातें तमाम लिखते है;
वो कलम भी दीवानी हो गई;
जिस से हम आप का नाम लिखते है।
---> रवि.

Hindi Ghazal : - नाम लेकर तेरा, मेरा लोग उड़ाते हैं मज़ाक़ इस बहाने ही सही तुझसे जुड़ा रहता हूँ....

फ़र्ज़ के बंधन में हर लम्हा बंधा रहता हूँ मैं
मैं हूँ दरवाज़ा मुहब्बत का खुला रहता हूँ मैं

नाम लेकर तेरा, मेरा लोग उड़ाते हैं मज़ाक़
इस बहाने ही सही तुझसे जुड़ा रहता हूँ

मैं जानता हूँ लौटना मुमकिन नहीं तेरा,
मगर आज भी उस रहगुज़र को देखता रहता हूँ मैं

दोस्तों से मिलना-जुलना हो गया कम इन दिनों
तेरी यादें ओढ़कर घर में पड़ा रहता हूँ मैं

मेरे चारो सिम्त हैं सब लोग कीचड़ में सने
देखना है दूध का कब तक धुला रहता हूँ मैं

भूल जाना गलतियाँ मेरी बड़प्पन है तिरा
और मेरा बचपना, ज़िद पर अड़ा रहता हूँ मैं

आंसुओं से रिश्ता मेरा जोड़ते रहते हो तुम
ख़्वाब ऐसा रफ़्ता-रफ़्ता टूटता रहता हूँ मैं
----> रवि.

Hindi Shayari : - तेरे दीदार की हसरत मे जिये जा रहे है

तेरे दीदार की हसरत मे जिये जा रहे है
वर्ना मौत का बुलावा कई बार आया है

बेचारे मौत के फरीशते भी क्या करते
एक जिस्म मे दो जान को धड़कता पाया है
--->रवि.

Hindi Story :  गुरु - शिष्य

(हर चीज मेँ भगवान)
एक गुरुजी थे। उनके आश्रम में कुछ शिष्य
शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक बार
बातचीत में एक शिष्य ने पूछा -गुरुजी,
क्या ईश्वर सचमुच है? गुरुजी ने कहा -
ईश्वर अगर कहीं है तो वह हम सभी में है।
शिष्य ने पूछा - तो क्या मुझमें और आपमें
भी ईश्वर है?
गुरुजी बोले - बेटा, मुझमें, तुममें, तुम्हारे
सारे सहपाठियों में और हर जीव-जंतु में
ईश्वर है। जिसमें जीवन है उसमें ईश्वर है।
शिष्य ने गुरुजी की बात याद कर ली।
कुछ दिनों बाद शिष्य जंगल में लकड़ी लेने
गया। तभी सामने से एक हाथी बेकाबू
होकर दौड़ता हुआ आता दिखाई दिया।
हाथी के पीछे-पीछे महावत
भी दौड़ता हुआ आ रहा था और दूर से
ही चिल्ला रहा था - दूर हट जाना,
हाथी बेकाबू हो गया है, दूर हट जाना रे
भैया, हाथी बेकाबू हो गया है।
उस जिज्ञासु शिष्य को छोड़कर
बाकी सभी शिष्य तुरंत इधर-उधर भागने
लगे। वह शिष्य अपनी जगह से बिल्कुल
भी नहीं हिला, बल्कि उसने अपने दूसरे
साथियों से कहा कि हाथी में भी भगवान
है फिर तुम भाग क्यों रहे हो? महावत
चिल्लाता रहा, पर वह शिष्य
नहीं हटा और हाथी ने उसे धक्का देकर एक
तरफ गिरा दिया और आगे निकल गया।
गिरने से शिष्य होश खो बैठा।
कुछ देर बाद उसे होश आया तो उसने
देखा कि आश्रम में गुरुजी और शिष्य उसे
घेरकर खड़े हैं। साथियों ने शिष्य से
पूछा कि जब तुम देख रहे थे
कि हाथी तुम्हारी तरफ दौड़ा चला आ
रहा है तो तुम रस्ते से हटे क्यों नहीं?
शिष्य ने कहा - जब गुरुजी ने कहा है
कि हर चीज में ईश्वर है तो इसका मतलब है
कि हाथी में भी है। मैंने सोचा कि सामने से
हाथी नहीं ईश्वर चले आ रहे हैं और
यही सोचकर मैं अपनी जगह पर खड़ा रहा,
पर ईश्वर ने मेरी कोई मदद नहीं की।
गुरुजी ने यह सुना तो वे मुस्कुराए और बोले
-बेटा, मैंने कहा था कि हर चीज में भगवान
है। जब तुमने यह माना कि हाथी में
भगवान है तो तुम्हें यह भी ध्यान
रखना चाहिए था कि महावत में
भी भगवान है और जब महावत चिल्लाकर
तुम्हें सावधान कर रहा था तो तुमने
उसकी बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
शिष्य को उसकी बात का जवाब मिल
गया था।.

करो सोने के सौ टुकडे तो क़ीमत कम नहीं होती... मुझे बचपन में ये सीख दी है मेरी मम्मी ने....

करो सोने के सौ टुकडे तो क़ीमत कम नहीं होती...
मुझे बचपन में ये सीख दी है मेरी मम्मी ने, 
बुज़ुर्गों की दुआ लेने से इज्ज़त कभी कम नहीं होती...

जरूरतमंद को कभी देहलीज से ख़ाली ना लौटाओ,
भगवान के नाम पर देने से दौलत कम नहीं होती...

पकाई जाती है रोटी जो मेहनत के कमाई से, 
हो जाए गर बासी तो भी लज्ज़त कम नहीं होती...

याद करते है अपनी हर मुसीबत में जिन्हें हम, 
गुरु और प्रभु के सामने झुकने से गर्दन नीचे नहीं होती...
---> रवि.  


सोमवार, 6 जनवरी 2014

Maithili Ghazal : - अहाँ बाजू ने बाजू हम एतबे बुझै छी


अहाँ बाजू ने बाजू हम एतबे बुझै छी

 हम अहाँकेँ अहाँ हमर छी

 अछि हमरे पवन जाहिमे वास अहाँकेँ

 ओ गीत हमरे जाहिमे भास अहाँकेँ

 हम सब ठाम भेटब जे बाट धऽ

 आबू देब प्रेमक परिक्षा अहाँ 

सोचि राखू अहाँ बाजू ने बाजू हम एतबे बुझै छी 

हम अहाँकेँ अहाँ हमर छी 

कोनो नव गप नै जँ पत्र नै लिखब 

मुदा नैनक आखर मेटा नै सकब 

अहाँ कतबो नुकाउ आएब हम सपनामे

 जहिना आबै छी अहाँ हमर सपनामे

 अहाँ बाजू ने बाजू हम एतबे बुझै छी

 हम अहाँकेँ अहाँ हमर छी

---> रवि.

Maithili Shayari:- प्रीत छै वा और किछु ओहि दिलमे

हुनक आँखिक नोर हम देखने छी
भेल नै जे भोर हम देखने छी
साफ नभपर मेघ बनि बरसि गेलै
ठोप दू इन्होर हम देखने छी
प्रीत छै वा और किछु ओहि दिलमे
जहर पोरे-पोर हम देखने छी
आइ मुट्ठीमे बचल राख केवल
काल्हि छल अंगोर हम देखने छी
पत्र भेटल "रवि"केँ आइ धरि नै
पर मनक सब जोड़ हम देखने छी

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