शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

ravi1057 : मोहब्बत की हैं


तेरे लिबास से मोहब्बत की हैं,
तेरे एहसास से मोहब्बत की हैं।।

तू मेरे पास नही फिर भी,
मैंने तेरी याद से मोहब्बत की हैं।।

कभी तू ने भी मुझे याद किया होगा,
मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की हैं।।

जिन में हो सिर्फ तेरी और मेरी बातें,
मैंने उन अल्फ़ाज से मोहब्बत की हैं।।
जो महकते हो तेरी मोहब्बत से,
मैंने उन जज्बात से मोहब्बत की हैं।।

तुझ से मिलना तो अब एक ख्वाब लगता हैं,
इसलिए मैंने तेरे इन्तजार से मोहब्बत की हैं।।
---+}R@vi.

ravi1057:- 2 line Shayari (हमने सबको भुला दिया)

ऐसे अपनी जिन्दगी को कैसे भूल जाये हम,
उसके लिए ही हमने सबको भुला दिया।

अपने हर रिश्ते की हर मर्यादा निभाएंगे हम,
बस एक बार पुकारना दौड़े ही चले आएँगे हम।

हज़ार बार ली है तुमने तलाशी मेरे दिल की,
बताओ कभी कुछ मिला है इसमें प्यार के सिवा।

काश इक दिन ऐसा भी आये हम तेरी बाहों में समा जाएँ,
सिर्फ हम हो और तुम हो और वक्त ही ठहर जाए।

तू मुझे इस कदर अच्छा लगता है,
के तेरे बिन अब मुझे कुछ नही अच्छा लगता है।

बडी गुस्ताख है तुम्हारी याद उसे तमीज सिखा दो
दस्तक भी नहीं देती और दिल में उतर जाती है।

हमको ही क्यों देते हो प्यार का इल्जाम 
जरा खुद से भी पूछों इतने प्यारे क्यों हो।

तेरी  याद  क्यों  आती  है  ये  मालूम  नहीं
लेकिन  जब  भी  आती  है  अच्छा  लगता  है।

फिज़ाओं से उलझकर एक हसीं ये राज़ जाना है,
जिसे कहते हैं मोहब्बत वो नशा ही कातिलाना है।

मेरा रेशा-रेशा मुझमें तेरे होने की गवाही देता है,
क्या कम है कि मुझे हर जगह बस तू ही दिखाई देता है।

तुम्हारी खुशबू से महकती हैं वो ग़ज़ल भी,
जिसमें लिखता हूँ मैं कि तुम्हें भूल गया हूँ।

वो मुझसे इतनी मोहब्बत जताने लगा है,
कभी-कभी तो मुझे खौफ आने लगता है।

सावन की बूंदों में झलकती है उनकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे हैं उन्हें पाने की चाहत में।

तुम्हारी बात लम्बी है दलीलें है बहाने हैं
हमारी बात इतनी है हमारी जिंदगी हो तुम।

क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी 
कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया।

जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।

नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।

सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा
जितना देखेंगे तुम्हे उतना ही प्यार आएगा।

नाम होटों पे तेरा आए तो राहत-सी मिले
तू तसल्ली है, दिलासा है, दुआ है, क्या है ?

तेरी आँखों के जादू से तू ख़ुद नहीं है वाकिफ़;
ये उसे भी जीना सीखा देता जिसे मरने का शौक़ हो।

मुझे क्या पता था कि मुहब्बत ही हो जायेगी
हमें तो बस तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा था।

दीवाना उस ने कर दिया एक बार देख कर,
हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर।

कुछ भी लिखूँ, कुछ भी कहूँ,
बिन तुम्हारे सब अधूरा है।
---+}R@vi.


ravi1057 : नज़रे करम मुझ पर इतना न कर ( Najre Karam Mujhpe Itna Na kar )

नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,
की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,

मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं।

है हक़ीक़त कि हमें आपके सिवा,
कुछ भी नज़र नहीं आता,
यह भी हकीकत है आपके सिवा,

किसी और को देखने की चाहत ही नहीं।

कर दो अपनी नज़र करम हम पर,
कि हम आप पर ऐतबार कर लें,
आशिक़ हैं हम आपके इस क़दर,

कि आशिक़ी की हद को पार कर लें

ना जाने क्यों,
आपको खोने का डर लगा रहता है,
जबकि हम यह जानते हैं,

कि आप हमारे हो ही नहीं सकते।

ना ही कोई ज़िद ना कोई गुरूर है मुझे,
बस एक आपको पाने का सुरूर है मुझे,
प्यार गुनाह है तो हाँ की हाँ मैंने यह गलती,

चाहे सज़ा जो भी हो इसकी मंजूर है मुझे।

शामिल कर लो मुझे भी ऐसे,
अपनी आदतों में,
कि बातें मेरी ही हों,

तुम्हारी इबादतों में।

कौन कहता है,
कि प्यार बर्बाद करता है,
अगर तुम्हारे जैसा निभाने वाला मिल जाये,

तो यह संसार याद करता है।

धड़कने मेरी धड़कती हैं,
साँसे उनमे आ जाती हैं,
कभी ख़ुश अगर जो हो जाऊँ मैं,

चेहरे पर मुस्कराहट उनके आ जाती हैं

हमारी बाहों में आने की,
सज़ा भी जान लो ऐ सनम,
ज़िन्दगी भर हमारी आगोश से,

तुम आज़ाद नहीं हो सकोगे।

हमारी बाहों में आने की,
सज़ा भी जान लो ऐ सनम,
ज़िन्दगी भर हमारी आगोश से,

तुम आज़ाद नहीं हो सकोगे।

तेरे नाम को लबों पर सजाया हैं हमने,
तेरी यादों को दिल में बसाया है हमने,
कोई भी कभी ढून्ढ ना पायेगा तुझे,

इस दिल की गहराई में छुपाया है तुझे हमने।

बेताब सा रहने की आदत सी पड़ गई,
दिल में उनके प्यार की खुशबू बिखर गई,
आँखों से गुजरे थे वो एक ख्वाब की तरह,

उनकी हसीं सूरत मेरे दिल में उतर गई।

मोहब्बत की ये इप्तिदा चाहता है,
मेरा इश्क तुझसे वफ़ा चाहता है,
ये आँखों के दरिया नशीले-नशीले,

इन आँखों में दिल डूबना चाहता है।

उसे रूठ जाने की आदत पड़ी है,
मनाता हूँ फिर रूठना चाहता है,
उसे चीर कर मैं दिखाऊं तो कैसे,

ये दिल उसको बेइंतेहा चाहता है।

अब किससे कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ,
इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ,
यह हिज्र-हवा भी दुश्मन है उस नाम के सारे रंगों की,

वो नाम जो मेरे होंठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ।

जहाँ चाहे जब भी चाहो,
पढ़ लो ज़िन्दगी हमारी,
चाहे कोई भी पन्ना खोल कर देख लो दिल का,

उसमे तस्वीर होगी बस तुम्हारी।

होने लगीं दुआएं मुकम्मल मेरी,
आदत हुईं हैं मेरी अदाएं तेरी,
आँखों ही आँखों से वो दिल के पास होने लगे,

जो थे कल तक अनजाने अब ख़ास होने लगे।

वो एक अजनबी है मगर रूह सनास लगता है,
मेरी तरह मुझे वो भी उदास लगता है,
करूँ तलाश तो हो शक वजूद पर उसके,

जो आँखें बंद करूँ तो आस-पास लगता है।
---+}R@vi.


ravi1057 : Ishq Pyas Hai Tu Samandar Hai | इश्क़ प्यास है तू समंदर है | Love Poem

तुमने जब जब हमसे नजरें मिलायी होंगी ।
हमने ख्वाबोँ में तेरी जुल्फेँ सँवारी होँगी ।
हमें तो कभी फुरसत नहीं मिलती इनसे ,
इश्क की बातेँ तेरे भी दिल मेँ तो आती होगीँ ।।

है मोहब्बत तो कानो मेँ बता देना ।
हया के रंग को सुर्ख आँखो मे छुपा लेना ।।

अपने होँठो से आखिरी बूँद भी छलक जाने दो ।
मेरे इशारोँ पर कदमोँ को बहक जाने दो ।
आज तक लहराता रहा समन्दर सादा ,
इश्क को घोलकर लहरोँ को दहक जाने दो ।।

इस ख़ता के लिए हमेँ जब भी सजा देना ।
हया के रंग को सुर्ख आँखो मेँ छिपा लेना ।।

मैँ समझ न सका खंजर से बेवफाई से ।
कत्ल हुआ मेरा इतनी सफाई से ।
ये फैसला भी उनके हाथो मेँ है ,
अब क्या फायदा गवाहोँ से , सफाई से ।।

होँठोँ पर हँसी रखकर निगाहोँ से सजा देना ।
हया के रंग को सुर्ख आँखो मेँ छिपा लेना ।।

उस रात जब घटाओ ने बारिश की थी ।
हमने तुमसे इश्क की गुजारिश की थी ।
छिपते चाँद भी मना गया तुमको ,
बहती हवाओँ ने भी सिफारिश की थी ।।

कि हर जगह बह रहा मोहब्बत का झोँका था ।
तुमसे कुछ माँगने का यह पहला ही मौका था ।
तुम्हारी आवाज मेरे दिल को सुनाई दे इस खातिर ,
पीपल ने भी अपने पत्तो का थिरकना रोका था ।

चमकती बिजली ने भी मुझको डराया था ।
तुम्हारी पलकोँ ने भी तुमको छुपाया था ।
तब मैने हाथो मेँ लेकर हाथ तुम्हारा ,
छलकती जमीँ पर घुटना टिकाया था ।

फूल खिलने लगे हवा मेँ नमी भी थी ।
चमकते जुगूनुओँ ने भी सलामी दी थी ।
लब खामोश थे ,निगाहे ठहरी हुईँ ,
जब तुम्हारे होँठो ने हामी दी थी ।।
---+}R@vi.

ravi1057 : कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है { Kal tak Tha Use Aaj Nai Hai }

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है

उसकी आँखों में कितना प्यार कितनी सच्चाई दिखती
मेरी कितनी चिंता थी, कितना ख्याल रखती
जुदा होने की सोच के कैसे घबरा जाती
ऐसे गले लगती कि मुझमे समा जाती
उसके प्यार रस में भीग, लगता सब सही है

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |

कितने साल महीने हर पल उस पर मरते रहे
अपनी खुशनसीबी समझ सब सहते रहे, सब करते रहे
हृदय की हर धड़कन उसका नाम पुकारा करती थी
जान हथेली पे ले दौड़ जाते जो एक इशारा करती थी
हामारे तो दिल में आज भी ज़ज्बात वही है

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |

कहती कि बात किये बिना नींद नहीं है आती
अब क्या हो गया कि मेरा फोन नहीं उठती ?
सोच के है दम घुटता , साँसे रुकती है
निर्लज इन आँखों से गंगा जमुना बहती है
जितना मैं तड़प रहा, क्या मरता हर कोई है ?

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |

जानू तुम ना मिले तो मर जाउंगी ज़हर खाके
अब किसी और संग पिज़ा खाती है कुर्सियां सटाके
पैर पे पैर रख केर घंटो बातें होतीं हैं
क्या सच में लड़कियां इतनी निर्दयी होती हैं ?
क्यों वो मेरे साथ ऐसा कर रही है ?

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |

जब तक था उसे प्यार, लगता बस मेरे लिए बनी है
अचानक कैसे बादल गई, नहीं होता यकीं है
प्यार को तो कब का दफना दिया, आती नहीं दया भी
न आँखों में कुछ शर्म है कि तुमने है कुछ किया भी
नफरत तुमसे फिर भी इस जन्म में मुमकिन नहीं है

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
                                                                                    ---+}R@vi.

ravi1057 : -मुझे फर्क नहीं पड़ता (Mujhe Ab Farq Nahi Padta )

एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था
अब तो तू खुद मोहब्बत बन चली आए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता

एक वक्त था जब तेरी परवाह किया करता था
अब तो तू मेरे खातिर फना भी हो जाए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब तुझे हजारों मैसेजेस लिखा करता था
और कोई काम न था मेरा
बस दिन भर तेरा लास्ट सीन देखा करता था
अब तू सुन ले
अब तो अरसा बीत गया है वीजीट किए हुए तेरी पुरानी प्रोफाईल को
जा-जा अब तू चाहे 24 घण्टे ऑन्लाइन रहले अपने नये आईडी पर,
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब तुझसे बिछड़ जाने का डर लगा रहा था
और तू कहीं छोड़ न दे
इस ख्याल में मैं सहमा-सहमा सा रहता था
लेकिन अब सुन तू ले इतना जलील हुआ हूं तेरी इश्क में
इतना जलील हुआ हूं तेरी इन रोज-रोज की छोड़ने-छाड़ने की बातों से कि
अब तू एक क्या
सौ मर्तबा छोड़ जाये तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब तुझ बिन एक पल न रह सकता था
बेचैन गुमशुदा अकेलेपन से डरता था
लेकिन अब तू सुन ले
कि इतना वक्त बीता चुका हूं इस अकेलेपन में कि
अब तो ताउम्र तन्हां रहना पड़ जाये तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब तुझे कोई छू लेता तो मेरा खून खौल उठता था
और इसलिए मैं इन हवाओं से बैर पाला करता था
अरे अपने हुस्न के सिवा कुछ नहीं है तेरे पास अगर
तो जा-जा तू किसी के साथ हम बिस्तर भी हो जाए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
इतना गुरूर किया तूने अपने इस मिट्टी के जिस्म पर तो
जा-जा ये तेरा जिस्म किसी और का हो जाए
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब पांच वक्त की नमाजें पढ़कर तेरे लिए खुदा से मन्नते मांगता था
अरे मुझे खुद तो कुछ चाहिए न था
सिर्फ तेरे लिए अपने उस खुदा को आजमाता था
लेकिन अब तू सुन ले अब तो ना झुकता हूं
न पूजता हूं न मानता हूं किसी को
अब तो भले तू खुद खुदा बन चली आए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब शेर लिखा करता था तेरे लिऐ और सुनाता था महफिलों में
अरे अब तो अरसे बाद लिखी है ये अधूरी सी कविता तूझ पे
और सुन ले
आगे से कुछ ना भी लिख जाए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

बताना तुझे मिल जाए मुझ जैसा कोई और अगर
जा-जा तू औरों को आजमा ले
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

एक वक्त था जब तुझे इन हजारों की भीड़ में भी तेरी आईंडी को पहचान लिया करता था
किसी और की डीपी में होती अगर तो एहसासों से पहचान किया करता था
अरे अब तो निगाहों से ओझल किया है मैंने तुझे इस कदर
कि तू मेरी कविता को चोरी-चोरी पढ़ भी रही है तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

खैर फिर भी करता हूं शुक्रिया तेरा
तूझे खोने मैंने बहुत कुछ पा लिया है
नजमें, गजलें, शायरियां सब मिल गई है मुझे
और इन्होंने तो जैसे मुझे गले से लगा लिया है
अब तो मुझे सुनने वाले भी चाहने वाले भी और दाद देने वालें भी है
और कुछ दिन ना लिखू तो फोन करके गुजारिश करवाने वाले भी है
लेकिन अब तू सून ले अब तो इतना बेखौफ हो गया हूं कि अब ये सब भी छोड़ जाए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

अरे खुद ही में मस्त हो गया है तेरा ये राशिद इतना
अब तो कोई सुनने आए या न आए
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

खैर चाहता तो नहीं था तुझे इस तरह यूं बेनकाब करूं सबके सामने
लेकिन सुन ले एक बेवफा मेरी कलम से बेईज्जत हो जाए तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था

याद कर वो वक्त जब एक लफ्ज नहीं सुन पाता था मैं तेरे खिलाफ
और अब देख-देख तेरे इस तौहिन पर तालियों पर तालियां बज रही हैं तो
मुझे फर्क नहीं पड़ता
एक वक्त था कि तुझसे बेइंतहां प्यार करता था।।
---+}R@vi.


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Jab kuch acha nahi lag raha ho Tab bhi tumse bat krna Acha lgta he  ❤️😊 #ravi1057 #RaviShilpi #15August #ravi #रवि #रविशंकर #Ravishan...