ऐसे अपनी जिन्दगी को कैसे भूल जाये हम,
उसके लिए ही हमने सबको भुला दिया।
अपने हर रिश्ते की हर मर्यादा निभाएंगे हम,
बस एक बार पुकारना दौड़े ही चले आएँगे हम।
हज़ार बार ली है तुमने तलाशी मेरे दिल की,
बताओ कभी कुछ मिला है इसमें प्यार के सिवा।
काश इक दिन ऐसा भी आये हम तेरी बाहों में समा जाएँ,
सिर्फ हम हो और तुम हो और वक्त ही ठहर जाए।
तू मुझे इस कदर अच्छा लगता है,
के तेरे बिन अब मुझे कुछ नही अच्छा लगता है।
बडी गुस्ताख है तुम्हारी याद उसे तमीज सिखा दो
दस्तक भी नहीं देती और दिल में उतर जाती है।
हमको ही क्यों देते हो प्यार का इल्जाम
जरा खुद से भी पूछों इतने प्यारे क्यों हो।
तेरी याद क्यों आती है ये मालूम नहीं
लेकिन जब भी आती है अच्छा लगता है।
फिज़ाओं से उलझकर एक हसीं ये राज़ जाना है,
जिसे कहते हैं मोहब्बत वो नशा ही कातिलाना है।
मेरा रेशा-रेशा मुझमें तेरे होने की गवाही देता है,
क्या कम है कि मुझे हर जगह बस तू ही दिखाई देता है।
तुम्हारी खुशबू से महकती हैं वो ग़ज़ल भी,
जिसमें लिखता हूँ मैं कि तुम्हें भूल गया हूँ।
वो मुझसे इतनी मोहब्बत जताने लगा है,
कभी-कभी तो मुझे खौफ आने लगता है।
सावन की बूंदों में झलकती है उनकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे हैं उन्हें पाने की चाहत में।
तुम्हारी बात लम्बी है दलीलें है बहाने हैं
हमारी बात इतनी है हमारी जिंदगी हो तुम।
क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी
कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा
जितना देखेंगे तुम्हे उतना ही प्यार आएगा।
नाम होटों पे तेरा आए तो राहत-सी मिले
तू तसल्ली है, दिलासा है, दुआ है, क्या है ?
तेरी आँखों के जादू से तू ख़ुद नहीं है वाकिफ़;
ये उसे भी जीना सीखा देता जिसे मरने का शौक़ हो।
मुझे क्या पता था कि मुहब्बत ही हो जायेगी
हमें तो बस तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा था।
दीवाना उस ने कर दिया एक बार देख कर,
हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर।
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