नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,
की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं।
है हक़ीक़त कि हमें आपके सिवा,
कुछ भी नज़र नहीं आता,
यह भी हकीकत है आपके सिवा,
किसी और को देखने की चाहत ही नहीं।
कर दो अपनी नज़र करम हम पर,
कि हम आप पर ऐतबार कर लें,
आशिक़ हैं हम आपके इस क़दर,
कि आशिक़ी की हद को पार कर लें
ना जाने क्यों,
आपको खोने का डर लगा रहता है,
जबकि हम यह जानते हैं,
कि आप हमारे हो ही नहीं सकते।
ना ही कोई ज़िद ना कोई गुरूर है मुझे,
बस एक आपको पाने का सुरूर है मुझे,
प्यार गुनाह है तो हाँ की हाँ मैंने यह गलती,
चाहे सज़ा जो भी हो इसकी मंजूर है मुझे।
शामिल कर लो मुझे भी ऐसे,
अपनी आदतों में,
कि बातें मेरी ही हों,
तुम्हारी इबादतों में।
कौन कहता है,
कि प्यार बर्बाद करता है,
अगर तुम्हारे जैसा निभाने वाला मिल जाये,
तो यह संसार याद करता है।
धड़कने मेरी धड़कती हैं,
साँसे उनमे आ जाती हैं,
कभी ख़ुश अगर जो हो जाऊँ मैं,
चेहरे पर मुस्कराहट उनके आ जाती हैं
हमारी बाहों में आने की,
सज़ा भी जान लो ऐ सनम,
ज़िन्दगी भर हमारी आगोश से,
तुम आज़ाद नहीं हो सकोगे।
हमारी बाहों में आने की,
सज़ा भी जान लो ऐ सनम,
ज़िन्दगी भर हमारी आगोश से,
तुम आज़ाद नहीं हो सकोगे।
तेरे नाम को लबों पर सजाया हैं हमने,
तेरी यादों को दिल में बसाया है हमने,
कोई भी कभी ढून्ढ ना पायेगा तुझे,
इस दिल की गहराई में छुपाया है तुझे हमने।
बेताब सा रहने की आदत सी पड़ गई,
दिल में उनके प्यार की खुशबू बिखर गई,
आँखों से गुजरे थे वो एक ख्वाब की तरह,
उनकी हसीं सूरत मेरे दिल में उतर गई।
मोहब्बत की ये इप्तिदा चाहता है,
मेरा इश्क तुझसे वफ़ा चाहता है,
ये आँखों के दरिया नशीले-नशीले,
इन आँखों में दिल डूबना चाहता है।
उसे रूठ जाने की आदत पड़ी है,
मनाता हूँ फिर रूठना चाहता है,
उसे चीर कर मैं दिखाऊं तो कैसे,
ये दिल उसको बेइंतेहा चाहता है।
अब किससे कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ,
इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ,
यह हिज्र-हवा भी दुश्मन है उस नाम के सारे रंगों की,
वो नाम जो मेरे होंठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ।
जहाँ चाहे जब भी चाहो,
पढ़ लो ज़िन्दगी हमारी,
चाहे कोई भी पन्ना खोल कर देख लो दिल का,
उसमे तस्वीर होगी बस तुम्हारी।
होने लगीं दुआएं मुकम्मल मेरी,
आदत हुईं हैं मेरी अदाएं तेरी,
आँखों ही आँखों से वो दिल के पास होने लगे,
जो थे कल तक अनजाने अब ख़ास होने लगे।
वो एक अजनबी है मगर रूह सनास लगता है,
मेरी तरह मुझे वो भी उदास लगता है,
करूँ तलाश तो हो शक वजूद पर उसके,
जो आँखें बंद करूँ तो आस-पास लगता है।
---+}R@vi.
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