गुरुवार, 12 दिसंबर 2013
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई
खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई
Khidki se jhankta hu mai sabse nazar bacha kar,
Be-chain ho raha hu kyo ghar ki chatt pe aa kar,
Kya dhundta hu jane kya cheez kho gai hai,------> R@vi.
Insaan hu shayad mohobat hamko bhi ho gai hai...
मंगलवार, 10 दिसंबर 2013
सोमवार, 9 दिसंबर 2013
कभी शहीदों को याद करके देख लेना.... कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो....
कभी ठंड में ठिठुर के देख लेना
कभी तपती धूप में जल के देख लेना
कैसे होती है हिफाज़त मुल्क की
कभी सरहद पर चल के देख लेना
कभी दिल को पत्थर करके देख लेना
कभी अपने जज्बातों को मार के देख लेना
कैसे याद करते है मुझे मेरे अपने
कभी अपनों से दूर रहकर देख लेना
कभी वतन के लिए सोच के देख लेना
...कभी माँ के चरण चूम के देख लेना
कितना मज़ा आता है मरने में यारो
कभी मुल्क के लिए मरके देख लेना
कभी सनम को छोड़ के देख लेना
कभी शहीदों को याद करके देख लेना
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो
मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना
मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना !!
----> रवि
तुझ बिन न रह पाउँगा...
कुछ लाइन किसी विशेष के लिए .................
प्यार रिश्ता नही जो निभाऊ,
यह जिंदगी है जीने के लिए...
भूलती हो कैसे जो याद आऊ,
साथ हूँ सदा तुझे हँसाने के लिए
मेरा रास्ता क्यों देखती हो,
ना मिलूंगा इन धूमिल राहों मे...
दिल मे झाँक जो गुहार लगाओ,
मिल जाऊ गले लगाने के लिए
तेरे आँसू नही हैं ये,
क़यामत के दरबान हैं...
एक् बार भी ना मरूँगा,
तुझे रुलाने के लिए
मैं सांस नही लेता,
तेरी खुशबू जिला देती है...
काफी है दामन छूट जाना,
मुझे तड्पाने के लिए
इंतज़ार न कर रात-दिन,
तुझ बिन न रह पाउँगा...
ना कह जुदा होता हूँ मैं,
तुम्हे आजमाने के लिए
(¯`*•.¸ रवि ¸.•*´¯)
विरह के जहर आब पीब रहल छी हम
गजल
अखनो अहीं के आस में जीब रहल छी हम
विरह के जहर आब पीब रहल छी हम
बिसरला के पछातियो मोन पड़ेति होयत
मोन पारु कि कतेक करीब रहल छी हम
सबकिछु होयतो किछुओ नहिं अछि हमरा
अहाँ के बाद एतेक गरीब रहल छी हम
कतहु रही खुश रही और हमरा की चाही
साँस चलेति अछि और जीब रहल छी हम
कियो नहिं पतियेते और अहुँ नहिं मानब
कोना एक दोसर के नसीब रहल छी हम
---> रवि.
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