- यूँ तो ज़ाहिर है हर बात ज़माने के लिए
- ख़त्म होते नहीं जज़्बात बताने के लिए
- हम भी गिर कर देखेंगे कभी फुर्सत में
- आयेंगे लोग हमें कितने उठाने के लिए
- एक लहर चल रही है नयी दुनिया की
- वक़्त लगता है माज़ी को भुलाने के लिए
- मैंने टोका है कई बार तन्हाई को
- अब भी आती है मेरा साथ निभाने के लिए
- राह में मंज़िलें बहुत हैं,मुसाफिर भी बहुत
- आते हैं लोग मगर एक दिन जाने के लिए
. ---+R@vi.