तू रंज मे है इसकी नुमाइश न कर
हर ऐक शक्स की जहा मे आजमाइश़ न कर
लोग हँसेगे तू अश्क बहायेगा 'रवि'
हर कोई साथ दे इस दौर मे ख्वाइश न कर
लाखो मिल जायेगे
खुशिया तेरी बाटने वाले
कोई होगा नही जब दौर-ऐ-गम मे होगा तू
दुनिया से बच हर वक्त मुस्कुराया कर
महफिलो मे मुह लटका के आया न कर
सब खुदगर्ज है कोई यहा हबीब नही
ये तो रिवाज है दुनिया का कुछ अजीब नही
हर ऐक बात मे अपनी ही बात लाया न कर
राह चलते हुये किसी को बताया न कर
ये गम का मौसम कुछ पल को बरकरार है
खुशी नजदीक है थोड़ा सा इन्तजार कर
जुगनुओ की तरह खुद मे भी कुछ मुकम्मल कर ले
हर ऐक पल रौशनी का इकरार न कर
खुशिया तेरी बाटने वाले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें