!! एक नई कोशिश !!
सजा हूँ खार से तो क्या , गुलाब हूँ मैं ,
अँधेरा चीर के निकलूंगा , आफताब हूँ मैं |
मेरे ऐबों को तराशों , है अगर हुनर तुम में ,
ए क्या के आयेदिन कहते हो , के खराब हूँ मैं |
सफ़र तनहा है , दूर मंजिल , रास्तें मुश्किल ,
अपने अंजाम से वाकिफ हूँ , इन्किलाब हूँ मैं |
मेरी कामयाबी नहीं है , मुक़ुआम -ओ -मंजिल की मोहताज़ ,
मुसलसल सफ़र गर जारी है , तो कामयाब हूँ मैं |
मैं आशिक हूँ , दीवाना हूँ , मैं शायर हूँ
या यूँ कहूँ के खानाखाराब हूँ मैं |
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