तेरी चाहत के ख्वाब हैं अब तक ,
महके- महके गुलाब हैं अब तक ।
हम भी लेकर सवाल बैठे हैं ,
पर न मिलते जवाब हैं अब तक ।
चूमती जब बहार गुलशन को ,
क्यों न खिलते शबाब हैं अब तक ।
दे दिया आपको जिगर दिल भी ,
फिर भी रूठे जनाब हैं अब तक ।
जान पर खेल कर गया कोई ,
पर न उठते हिजाब हैं अब तक ।
चल दिये ,हो गये हैं सब चुकता ,
जो भी जिसके हिसाब हैं अब तक ।
कोई बेगम नज़र नहीं आती ,
बन के बैठे नवाब हैं अब तक ।
आस मत छोड़ना ' सुमन' कल की ,
चाहे मौसम ख़राब हैं अब तक ।
---+}R@vi.
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