ये मौसम है पिने और पिलाने की .
ये रात है गजलेँ गुनगुनाने की .
गुलाब की पंखुरीयोँ सी कोमल ,
होठोँ को टकराने की .
हुश्न के शोलोँ को जला कर .
राख कर दो आज मुझे .
नैनो की खंजर चला कर .
छलनी कर दो आज मुझे .
लड़खड़ा रहे कदम मेरे .
बाहोँ मेँ तेरी गीरना है मुझे .
रूप की रानी सुनो .
इस अमृत प्याली को आज पिना है मुझे .
एक गुनाह कर ले जी करता .
आज रात पहली है मिलन .
इस चाँद को बंद कर लेगा " रवि " .
दिल की तिजौरी मेँ सनम ।
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