आपकी जुदाई ने हमें शायरी सीखा दी,
जुदाई के गम ने हमें मंज़िल भुला दी, चाहते तो नहीं थे आपसे जुदा होना पड़ा
क्या करें अगर हमें अपनो ने ही पीठ दिखा दी
--------> रवि
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें