तेरी हर बात मोहब्बत में गंवारा करके;
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके;
एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे;
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके;
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे;
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके;
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी;
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
---+}R@vi.
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