याद तुझको ही दिन रात करने लगा ....
मैं दिवाना तेरे हुस्न का ए जानेमन ...
तुझको बाँहों में भरने को मरने लगा ...
तन्हाई कुछ कम हो इस के लिए...
तेरी बातें दीवारों से करने लगा...
याद तेरी सताने लगी है मुझे...
उठ के रातों को चुपके से रोने लगा...
ग़म तेरा घेरे रहने लगा है मुझे ...
साइन में दर्द फिर से सताने लगा ...
तेरी बाँहों का सुख चैन Teri
Banhon Ka Sukh Chaen O Jaan-E-Man....
Phir Se
Paane Ko Main Hosh Khone Laga...
Mil Ke
Uljhale Phir Gesoaon May Mujhe... Ab
Judaai Se Teri Main Darne Laga....
-----> R@vi.
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