शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

Maithili ghazal


गजल

फेर आइ आँखिसँ नोर बहाबै छी 
रहि रहि अहीकँ बात घुराबै छी 

कतै छै सिनेह ई कोना हम कहूँ
चलि आउ एखनो कियै सताबै छी ।

गेलौँ चलि कतौ हमरा बिसरिकँ
साँझेसँ अँहीँ लेल नोर खसाबै छी ।

देखूँ कानि कानि साँझसँ भोर भेलै 
भोरे भोर हम मदिरा चढाबै छी ।

मदिरोसँ बढिकँ अँहीँ मे नशा ये
ओहि नशा लेल फेरसँ बजाबै छी ।

नीन्नोँ नै आबै जौँ सपनो मेँ देखतौँ
सुतबा ले कतै मोनकेँ मनाबै छी ।

हाथ जोडिकँ ई कहौँ हे भगवान
कियै नै अहाँ रवि... सँ मिलाबै छी ।।
---->रवि.

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