गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

हम की करी

गजल 



हँसि हँसि के मारि गेल त हम कि करी 
जीबते कियो जारि गेल त हम की करी 

बहकि त गेल छलहुँ हुनका देखि के 
खसति ओ सम्हारि गेल त हम की करी 

मोन हमर भीजल पुआर जकाँ छल 
मुदा आगि पजारि गेल त हम की करी 

रुप हुनक आँखिक सोझा रहति अछि 
हुनका नै बिसारि भेल त हम की करी 

देखते देखेत ओ दीवाना बना देलक 
मन मोहिनी नारि भेल त हम की करी 

सिनेहक बात सुनाबय के मोन छल 
पहिले तकरारि भेल त हम की करी 

आब सभ गरिया के चलि जायत अछि 
भाइये सॅ अराडि़ भेल त हम की करी
----> रवि. 

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