महबूब मेरे मैं तेरी आँखों में खो जाना चाहती हूँ,
साँसों में बसकर तुम्हारे दिल में उतरना चाहती हूँ,
यूं ही हाथों में लेके हाथ मैं चलूँगी तेरे साथ,
तुझसे मैं अपने प्यार का इजहार करना चाहती हूँ।
मेरे सनम तेरी बातों की मिठास में घुल जाना चाहती हूँ,
तेरी हर मुस्कान पर मैं मर जाना चाहती हूँ,
चलना तो मैं भी चाहती हूँ हाथों में थामे हाथ,
मगर प्यार की रुसवाइयों से तुझको बचाना चाहती हूँ।
तुझे अपना बनाने के लिए रुसवाइयों से गुजरना चाहती हूँ,
यूं मिलकर तेरे संग एक नया आशियाँ बनाना चाहती हूँ,
ना छोडूगीं तेरा हाथ यूं ही रहूँगी उम्रभर साथ,
तुझ पर मैं अपना सर्वस्व न्योछावर करना चाहती हूँ।
तेरी इस दीवानगी में मैं डूब जाना चाहतीहूँ,
कुछ मजबूरिया हैं जो मैं तुझको समझाना चाहती हूँ,
दो दीवारों के ये फासले कभी कम न होंगे,
वरना तू मेरी मैं तेरा बनकर जीना चाहती हूँ।
--->रवि.
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