गजल
जितना किसी ने भी न किया हो , उतना प्यार करुँगा
मर जाऊँगा मुझे मंजूर है , कभी न इजहार करुँगा
यह सही है कि मरते दम तक , तुम्हारा इंतजार करुँगा
इस उम्मीद में जिन्दा हूँ , तुम्हारे प्यार का इकरार करुँगा
बात दिल की दिल में ही रहेगी , पूछने पर इन्कार करुँगा
सौंगंध खाकर कहता हूँ , किसी और को न स्वीकार करुँगा
तस्वीर नहीं है तुम्हारी तो क्या हुआ , सपनों में दीदार करुँगा
जिन्दा न मिलें कोई बात नहीं , मरने के बाद भी तुम्हें प्यार करुँगा
---->रवि.
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