मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013

Ghazal


गजल

नजरिमें नजरि तऽ मिलाक देखू
 
दीप नेहके तऽ जराक देखू
 

दिल अखन कली अछि प्रिय अहाँकें
 
ओ कली अहाँ तऽ खिलाक देखू

 
चेहरा अहाँक चमैक जेतै
 
आँखिमें अहाँ तऽ बसाक देखू

 
दोहराक भेटत नहि जवानी
 
मोनमें उमंग जगाक देखू

 
बरसि पडत सावन जीनगीमें रवि.
 
हमर लेल रूप सजाक देखू

-----> रवि.

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