कुछ उजाले की चकाचौंध से डरते हैं,
कुछ अँधेरे में परछायिओं से डरते हैं,
हम भी हैं तनहा अपनी रहबर निहारते,
पर जाने क्यूँ आपकी अंगडायिओं से डरते हैं !
कुछ को ख्वाब देख के जीने की आदत है,
कुछ को मैखाने में पीने की आदत है ,
हम हैं परेशां दीवानापन की आदतों से,
पर जाने क्यों शादी की शहनाईयों से डरते हैं!!
इंतजार कर रहा हूँ जुश्तजू जो है ,
इज़हार भले ही न करूँ आरज़ू तो है ,
कुछ मोहबत में किस्से सुने हैं ऐसे ,
हम अभी से आपकी तनहायिओ से डरते हैं !!
----> रवि.
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